ये बगीचा नहीं कब्रिस्तान है…पांच साल में रोपे 1000 पौधे, जो पेड़ बन गए, अब यहीं के गुलाब चढ़ाते हैं कब्र पर

उज्जैन | यह जान्सापुरा में बोहरा समाज का कब्रिस्तान है। पांच साल में समाज के लोगों ने इसे निखारने के लिए यहां पर एक हजार पौधे रोपे। बकौल अध्यक्ष शहर आमिल जनाब इस्हाक भाईसाहब 9.50 बीघा में फैले कब्रिस्तान में गुलाब की बगिया है तो रात में महकने वाली रातरानी भी है। कब्रों पर चढ़ाए जाने वाले गुलाब भी यहीं उगाए जाते हैं। इसके अलावा अशोक, नीम, गुलमोहर, मीठा नीम और फल-फूल के पौधे हैं। फोटो अशोक मालवीय

नंगे पैर चलते हैं घास पर

बुजुर्गों की जियारत के लिए आने वाले लोगों का मॉर्निंग वॉक भी यहीं होने लगा है। वे नंगे पैर चायना ग्रास पर चलते हैं।

तालाब का सौंदर्यीकरण करेंगे

कब्रिस्तान में एक पुराना तालाब भी है। समाज के लोगों ने अब इसके सौंदर्यीकरण की बात कही है।

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